Thursday, February 18, 2016

पराजय

।। जिस शहर में बारिश न हो, वहाँ की फसलें खराब हो जाती है...
और जिस घर में बाबा साहब का इतिहास ना पता हो , वहाँ की नस्लें गुलाम हो जाती है ।।

"पराजय तब नही होती जब आप गिर जाते हैं,
पराजय तब होती है जब आप उठने से इनकार कर देते हैं।"
------ "सम्राट अशोक" jai janani, jai bhim, namo buddhay

Wednesday, February 17, 2016

अंधारातून प्रकाशा कडे जाने म्हणजे.... धम्म

अंधारातून प्रकाशा कडे जाने म्हणजे.... धम्म
=============================
बुध्दांना एका पंडितन विचारल की तथागत आपण लोकांना सांगता देव नाही, आत्मा नाही , स्वर्ग नाही, पुनर्जन्म नाही.
बुध्द म्हणाले , तुम्हाला आसे कुणी सांगितले की मी आसे बोललो?
पंडित म्हणाला, नाही आसे कुणी सांगितले नाही .
मग मी असे बोललो असे सांगणारी व्यक्ती तुम्हाला माहित आहे का ?
पंडीत म्हणाला नाही.
मग असे मी कुणाला सांगताना तुम्ही ऐकले आहे का ?
पंडित म्हणाला नाही. पण तथागत मी लोकांच्या चर्चे तून तसेच ऐकले आहे .तसे नसेल तर तुम्ही काय सांगता ?
तथागत म्हणाले मी माणसाला वास्तव सत्य स्वीकारायला सांगतो .
पंडित म्हणाला मला सोपे करुन सांगा .
मग तथागत म्हणाले माणसाला पाच बाह्य ज्ञानेंद्रीय आहेत . ज्या द्वारे माणूस सत्य जाणतो
१)डोळे २)कान ३)नाक ४)जीभ आणि ५)त्वचा
माणूस डोळ्यान बघतो,
कानान आवाज ऐकतो,
नाकान वास घेतो,
जीभेन चव घेतो,
आणि त्वचेन स्पर्श जाणतो .
या पंच ज्ञानेंद्रीयान पैकी कधीकधी दोन किंवा तीन ज्ञानेंद्रीयांचा वापर करुन माणूस सत्य जाणतो .
पंडित विचारतो कसे ?
पाणी डोळ्यान दिसत पण ते थंड की गरम हे बघायला त्वचेची मदत घ्यावी लागते . गोड की खारट कळायला जीभेची मदत घ्यायला लागते .
पंडित म्हणाला बरोबर. पण मग देव असण्याचा आणि नसण्याचा संबंध काय ?
तथागत म्हणाले, तुम्ही हवा पाहू शकता ?
पंडित म्हणाला नाही.
याचा अर्थ हवा नाही असा होतो का ?
पंडित म्हणाला नाही .
हवा दिसत नसली तरी ती आहे .कारण तिच आस्तीत्व नाकारता येत नाही ,आपण श्वासोच्छवास करताना हवाच आत-बाहेर सोडतो. वा-याची झुळूक आली की आपल्याला जाणवते. झाड, पान हवेन हलतात ते दिसत.
तथागत म्हणाले, आता मला सांगा देव तुम्हाला पंच ज्ञानेंद्रीयांनी जाणवतो का ?
पंडित म्हणाले नाही .
तुम्ही प्रत्यक्ष देव पाहिला आहे ?
पंडित- नाही.
तुमच्या आईवडलानी पाहिल्याच सांगितलंय ?
पंडित- नाही.
मग पूर्वजांन पैकी कुणी पाहिल्याच ऐकलत ?
पंडित -नाही.
मग तथागत म्हणाले, आजवर कुणीच पाहिल नाही .
आपल्या कुठल्याच ज्ञानेंद्रीयांनी जे जाणता येत नाही ते सत्य नाही. त्याला गृहीत धरायच नाही.त्याचा उपयोग नाही.
ज्ञानी पंडिताला ब-या पैकी पटायला लागल होत, तरी त्यान प्रश्न विचारला…
.तथागत ठिक आहे, पण मग आपण जीवंत आहोत याचा अर्थ आपल्यात आत्मा आहे. हे तरी तुम्ही मान्य कराल की नाही ?
तथागत पंडिताला म्हणाले, तुम्ही सांगता आत्मा अमर आहे, तो कधीच मरत नाही .
पंडित म्हणाला, हो. बरोबर आहे.
मग तथागत म्हणाले, मला सांगा माणूस मरतो म्हणजे काय ?
पंडित म्हणाला, आत्मा त्या माणसातून निघून गेला की माणूस मरतो .
मग मला सांगा आत्मा शरीर सोडतो की शरीर आत्मा सोडतो ?
पंडित -आत्मा शरीर सोडतो.
का सोडतो आत्मा शरीर ?
कंटाळा आला म्हणून ?
पंडित-माणसाच आयुष्य संपल्यावर.
तथागत म्हणाले, तस असेल तर सगळी माणस शंभर वर्ष जगली पाहिजे .
अपघात , आजार झाल्यावरही उपचार न करता जगली पाहिजे ,
पंडितजी -तथागत बरोबर आहे तुमच .पण माणसात जीव आहे त्याला काय म्हणाल ?
तथागत म्हणाले तुम्ही पणती पेटवता , त्यात एक भांड ,भांड्यात तेल, तेलात वात असते. ही वात पेटवायला अग्नी देता .बरोबर ?
पंडित - बरोबर .
मग मला सांगा वात कधी विझते ?
पंडित -तेल संपत तेंव्हा .
तथागत -आणखी ?
पंडित -तेल आहे पण वात संपते तेंव्हा.
तथागत-आणखी ?
पंडितजी काहीच बोलले नाहीत.
तेंव्हा तथागत म्हणाले पाणी पडले , वारा आला ,पणतीच फुटली तर पणती विझु शकते. मानव देह ही एक पणती समजा .आणि जीव म्हणजे आग (उर्जा )
सजीवाचा देह चार तत्वांनी बनलेला आहे .
१) पृथ्वी -घनरुप पदार्थ (माती)
२) आप -द्रवरुप पदार्थ (पाणी ,स्नीग्ध तेल )
३) वायु - वारा
४) तेज -उर्जा, उष्णता
या चार पैकी एक पदार्थ वेगळा केला की माणूस मरतो . उर्जा बनण थांबते .
यालाच म्हणतात माणूस मरणे .
आणि
सजीव माणूस मेल्या नंतरचा जो आत्मा आहे, तुम्ही म्हणता तो देवा सारखाच अस्तीत्वहीन आहे .
देव आहे की नाही, आत्मा आहे की नाही या निरर्थक गोष्टीसाठी धम्म वेळ वाया घालवीत नाही .
धम्म माणूस जन्मल्यापासून मरे पर्यंत माणसान कस जगाव याच मार्गदर्शन करतो. काय कर्म केल्यावर काय परिणाम होतात ते सांगतो. धम्म जीवंतपणी स्वर्ग उपभोगण्याची माणसाला संधी उपलब्ध करतो आणि जीवंतपणी याच जन्मात अज्ञानामुळ नरक भोगावा लागू नये म्हणून मार्गदर्शन करतो .
अंधारातून प्रकाशाकडे जाणे म्हणजे धम्म.
जगातील कुठल्याही मानवाला मार्गदर्शक आहे .

Monday, February 15, 2016

नास्तिक होना आसान नही

नास्तिक होना आसान नही कोई भी मूर्ख इंसान ईश्वर के अस्तित्व को मानकर फ्री हो जाता है उसके लिए उसे बुद्धि की जरुरत नही होती परंतु नास्तिक होने के लिए दृढ विश्वास और साहस की जरूरत होती है ऐसी योग्यता उन लोगो के पास होती है जिनके पास प्रखर तर्क बुद्धि होती है अंधश्रद्धा ऐसा केमिकल है जो इंसान को मूर्ख बनाने मे काम आता है .
-- पेरियार ई.वी. रामास्वामी नायकर

Sunday, February 14, 2016

आविष्कार किसने किया? 🏾जो कुछ भी किया इंसान ने ही किया है। 🏾फिर भी लोग इंसान से ज्यादा भगवान के चमत्कार को मानते हैं।

दोस्तों....🙏
कागज का आविष्कार किसने किया?
इंसान ने...🙇🏻
आग का आविष्कार किसने किया?
इंसान ने...🙇🏻
चक्के का आविष्कार किसने किया?
इंसान ने...🙇🏻
खेती का आविष्कार किसने किया?
इंसान ने...🙇🏻
बड़े बड़े घर, बंगले किसने बनाऐ?
इंसान ने...🙇🏻
जहाज का आविष्कार किसने किया?
इंसान ने...🙇🏻
हवाई जहाज का आविष्कार किया?
इंसान ने...🙇🏻
कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया?
इंसान ने...🙇🏻
मोबाइल्स फोन का आविष्कार किया?
इंसान ने...🙇🏻
गाड़ियाँ किसने बनायीं?
इंसान ने...🙇🏻
घर में आराम, सुख चैन के लिए जो चीजे इस्तेमाल करते हो वो किसने बनायीं?
इंसान ने...🙇🏻
जिस FB, Whats app पे ये पोस्ट पढ़ रहे हो उसे किसने बनाया?
इंसान ने...🙇🏻
समाज किसने निर्माण किया?
इंसान ने...🙇🏻
धर्म का निर्माण किसने किया?
इंसान ने...🙇🏻
मंदिर मस्जिद किसने बनाये?
इंसान ने...🙇🏻
मंदिरों, मस्जिदों में भगवान, अल्लाह(GOD) किसने बिठाये?
इंसान ने...🙇🏻
🎯कमाल की बात है एक भी काम भगवान ने नहीं किया है।
👉🏾जो कुछ भी किया इंसान ने ही किया है।
👉🏾फिर भी लोग इंसान से ज्यादा भगवान के चमत्कार को मानते हैं।
👉🏾हम इन्सानों ने ही अपने स्वार्थ के लिए भगवान का निर्माण किया है।
👉🏾क्योंकि :-
1)मनुष्य के अलावा दुनिया का एक भी प्राणी भगवान को नही मानता।
2)जहाॅ इन्सान नही पहुॅचा वहाॅ एक भी मंदिर मस्जिद या चर्च नही मिला।
3)अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग देवता है। इसका मतलब इन्सान को जैसी कल्पना सुझी वैसा भगवान बनाया गया।
4)दुनिया मे अनेक धर्म पंथ और उनके अपने-अपने देवता है। इसका अर्थ भगवान भी एक नही।
5)दिन प्रतिदिन नये नये भगवान तैयार हो रहे है।
6)अलग-अलग प्रार्थनायें है।
7)माना तो भगवान नही तो पत्थर यह कहावत ऐसे ही नही बनी।
8)दुनिया मे देवताओं के अलग-अलग आकार और
उनको प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग पुजा।
9)अभी तक किसी इन्सान को भगवान मिलने के कोई प्रमाण नही है।
10)भगवान को मानने वाला और नही मानने वाला भी समान जिंदगी जिता है।
11)भगवान किसी का भी भला या बुरा नही कर सकता।
12)भगवान भ्रष्टाचार अन्याय चोरी बलात्कार आतंकवाद अराजकता रोक नही सकता।
13)छोटे मासुम बच्चों पर बंदुक से गोलियाॅ दागने वालों के हाथ भगवान नही पकड सकता।
14)मंदिर मठ आश्रम प्रार्थना स्थल जहाॅ माना जाता है कि भगवान का वास होता है वहाॅ भी बच्चे महिलाए सुरक्षित नहीं हैं।
15)मंदिर मस्जिद चर्च को गिराते समय एक भी भगवान ने सामने आकर विरोध नही किया।
16)बिना अभ्यास किये एक भी छात्र को भगवान ने पास किया हो ऐसा एक भी उदाहरण आज तक सुनने को नही मिला।
17)बहोत सारे भगवान ऐसे है जिनको 25 साल पहिले कोई नही जानता था। वह अब प्रख्यात भगवान हो गये है।
18)खुद को भगवान समझने वाले अब जेल कि हवा खा रहे है।
19)दुनिया मे करोडों लोग भगवान को नही मानते। फिर भी वह सुख चैन से रह रहे है।
20)हिन्दु अल्लाह को नही मानते।
मुस्लिम भगवान को नही मानते।
इसाई भगवान और अल्लाह को नही मानते।
हिन्दु मुस्लिम गाॅड को नही मानते।
✅फिर भी भगवानों ने एक दूसरे को नही पूछा कि ऐसा क्यो?
🎯 ज्ञान का द्वीप जलाओ
अत्त दीपो भव:

Monday, February 8, 2016

जापान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

जापान
बुद्धा को मानने वाला देश जापान लगभग 6800 द्वीपो से मिलकर बना है इस देश का नाम कुछ भी नया करने में सबसे आगे रहता है यहां के लोग कितने मेहनती है इस बात का अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका जैसे देशो ने जोर लगा लिया था लेकिन जापान पीछे हटने को तैयार नही हुआ। आज हम जापान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताएंगे जो शायद आप न जानते हो।
1. जापान में हर साल लगभग 1500 भुकंम्प आते है मतलब कि हर दिन चार.
2. मुसलमानों को “नागरिकता” न देने वाला जापान अकेला राष्ट्र है। यहाँ तक कि मुसलमानों को जापान में किराए पर मकान भी नहीं मिलता।
3. जापान,के किसी विश्वविद्यालय में अरबी या अन्य कोई इस्लामी भाषा नहीं सिखाई जाती।
4. कुत्ता पालने वाला प्रत्येक जापानी नागरिक उसे घुमाते समय अपने साथ एक विशेष बैग रखता है, जिसमें वह उसका मल एकत्रित कर लेता है।
5. जापान में 10 साल की उम्र होने तक बच्चों को कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती।
6. जापान में बच्चे और अध्यापक एक साथ मिलकर Classroom को साफ करते है।
7. जापान के लोगो की औसत आयु दुनिया में सबसे ज्यादा है.(82 साल). जापान में 100 साल से ज्यादा उम्र के 50,000 लोग है।
8. जापान के पास किसी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन नहीं है और वे प्रतिवर्ष सैंकड़ों भूकंप भी झेलते हैं, किन्तु उसके बाद भी जापान दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है।
9. “Sumo” जापान की सबसे लोकप्रिय खेल है. इसके इलावा बेसबाल भी काफी लोकप्रिय है.
10. जापान में सबसे ज्यादा लोग पढ़े लिखे है . जहां साक्षरता दर 100% है. जहां अखबारों और न्युज चैनलों में भारत की तरह दुर्घटना, राजनीति, वाद-विवाद, फिल्मी मसालो आदि पर खबरे नही छपती. यहां पर अखबारों में आधुनिक जानकारी और आवश्क खबरें ही छपती है.
11. जापान में जो किताबें प्रकाशित होती हैं उन में से 20% Comic Books होती हैं.
12. जापान में नववर्ष का स्वागत मंदिर में 108 घंटियाँ बजा कर किया जाता है।
13. जापानी समय के बहुत पक्के है यहां तो ट्रेने भी ज्यादा से ज्यादा 18 सैकेंड लेट होती है।
14. “Vending Machine” वह मशीन होती है जिसमें सिक्का डालने से कोई चीज आदि निकल आती है जेसे कि noodles, अंडे, केले आदि. जब आप जापान में होगे तो इन मशीनों को हर जगह पाएँगे. यह हर सड़क पर होती है. जापान में लगभग 55 लाख वेंडिंग मशीन है।
15. जापान में देर रात तक नाचना मना है।
16. जापान में एक ऐसी बिल्डिंग भी है जिसके बीच से हाइवे गुजरता है।
17. जापान चारों और से समुंदर से घिरा होने के बावजूद भी 27 प्रतीशत मछलियां दूसरे देशों से मंगवाता है.
18. काली बिल्ली को जापान में भाग्यशाली माना जाता है।
19. जापान में 90% “Mobile WaterProof” है क्योकिं ये लोग नहाते समय भी फोन यूज करते है।
20. जापान में 70 तरह की “fanta” मिलती है।
21. जापान में सबसे ज्यादा सड़के ऐसी है जिनका कोई नाम नही है।
22. जापानियो के पास “Sorry” कहने के 20 से ज्यादा तरीके है।
23. जापान दुनिया का सबसे बड़ा आॅटोमोबाइल निर्माता है।
24. साल 2011 में जापान में जो भूकंप आया था वह आज तक का सबसे तेज भूकंप था। इस भूकंप से पृथ्वी के “घूमने की गति” में 1.8 microseconds की वृद्धि हुई थी।
25. जापान दुनिया का केवल एकलौता देश है जिस पर “परमाणु बमों” का हमला हुआ है. जैसा कि आप जानते ही है कि अमेरिका ने 6 और 9 अगस्त 1945 में हीरोशिमा और नागाशाकी पर बम फेंके थे. इन बमों को little-boy और Fat-man नाम दिया गया था.
26. जापान में इस्लाम पंथ नहीं होने के कारण वहाँ स्लीपर सेल नहीं हैं और वहाँ एक भी आतंकी वारदात नहीं हुई है।

Thursday, February 4, 2016

खोजे , जिनसे विश्व में देश का नाम रोशन किया हुआ है

भारत के विषमतावादियो की शिकायत है कि आरक्षण की वजह से देश का विकास रुक गया है |
आरक्षण से पहले इन लोगो ने बहुत आविष्कार और खोजे की थी जो कि इस संसार में अन्य कहीं मिलना नामुमकिन है |
आइए जानते है इनकी ऐसी ही कुछ खोजो और अविष्कारों के बारे में
जिनसे इन्होने विश्व में देश का नाम रोशन किया हुआ है ---
१. इनकी सबसे महत्त्वपूर्ण खोज वर्ण व्यवस्था और जातियों की खोज थी | इन्होने मनुष्यों को 6743 से अधिक जातियों में बाँट दिया | इतनी अधिक जातियों की खोज करना क्या कोई आसान काम है ?
सोचिये बेचारों को इतनी अधिक जातियों को खोजने में कितना अधिक परिश्रम करना पड़ा होगा |
२. इनकी दूसरी महत्वपूर्ण खोज ३३ करोड़ देवी-देवताओं की खोज है | ये खोज इन्होने उस समय की, जब देश की कुल आबादी भी ३३ करोड़ नहीं थी|
सोचिये !!
इतने सारे देवी देवताओ की खोज में बेचारों को कितना पसीना बहाना पड़ा होगा ?
अजी रात दिन एक कर दिए होंगे बेचारों ने |
३. आज चाहे वैज्ञानिक अभी तक दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश नहीं कर पाए लेकिन ये लोग बहुत पहले ही ऐसे दो लोकों की तलाश कर चुके हैं जहाँ पर जीवनमौजूद है और वो ग्रह
हैं --
स्वर्ग लोक जहाँ पर अलौकिक शक्तियों के स्वामी देवता निवास करते हैं और नरक लोक |
३. विश्व के देशों ने चाहे कभी भी परमाणु बम,हाइड्रोजन बम जैसे विनाशकारी बमों का निर्माण किया हो लेकिन ये उससे बहुत पहले ही ऐसे ऐसे अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण कर चुके थे जो पूरी सृष्टि का विनाश करने में सक्षम थे | इन्होने उसको नाम दिया ब्रह्मास्त्र |
इन्होने आज तक किसी आक्रमणकारी शत्रुओं के खिलाफ उसका प्रयोग क्यों नहीं किया ये अलग शोध का विषय है|
बाहर से कुछ सौ हजारों की संख्या में आक्रमणकारी आते रहे और इनको ३३ करोड़ शस्त्रधारी देवताओं के साथ धूल चटाते रहे ये अलग बात है |
४. वैज्ञानिक बेशक आज तक मनुष्य की उम्र बढ़ाने और उसको अजर, अमर बनाने की औषधि नहीं खोज पाए हो लेकिन ये अब से कई युगों पहले मनुष्य को अमरता का रसास्वादन करवा चुके है ये अलग बात है इनके द्वारा अमर किये गए अश्वत्थामा जैसे मानव कभी भी देखने को नहीं मिलते हैं |
५. बेशक विश्व में कभी भी आकाशवाणी का प्रसारण भारत मे बाद में हुआ लेकिन ये उससे बहुत पहले ऐसी व्यवस्था का निर्माण कर चुके थे जिससे किसी युद्ध का आँखों देखा हाल बिना किसी भी कैमरा जैसे यंत्र की मदद के दिव्यदृष्टि के द्वारा किया जा सकता था लेकिन उसके बाद में उसका प्रयोग इन्होने क्यों नहीं किया ये अलग एक विचारणीय प्रश्न है.
६. विश्व का कोई भी देश आज तक सूर्य पर नहीं पहुँच सका है लेकिन ये अबसे पहले सूर्य पर होकर आ चुके हैं।
७. सूर्य को फल की तरह खाया भी जा सकता है ये भी अकेली इनकी ही खोज थी |
८. बेशक राईट बंधुओ को हवाई जहाज के अविष्कार के निर्माण के श्रेय दिया जाता हो लेकिन ये उससे बहुत पहले ही पुष्पक विमान का निर्माण कर चुके थे | उसके बाद इनकी वायुयान निर्माण कला को क्या हुआ ये आज तक रहस्य है |
९. संजीवनी बूटी जैसी चमत्कारिक औषधि भी इन्हीं की खोज थी जिससे किसी भी मृत मनुष्य को जीवित किया जा सकता था लेकिन आज वो औषधि कहाँ हैं ये इनको भी आज तक नहीं पता है |
१०.आज बेशक देश में सूखा पड़ता हो और और लोग पानी को तरसते हो लेकिन ये अब से युगों पहले आकाश में तीर मारकर बारिश करवा सकते थे आज ये उसका प्रयोग क्यों नहीं करते ये भी एक रहस्य है।
११. एक गर्दन पर दस-दस तक सिर और एक कंधे पर हजारों हाथ उग सकते हैं ये भी इनकी ही बुद्धिमता की खोज है |
१२. समुन्द्र यात्रा से मनुष्य गल जाता है ये भी इनकी ही महत्वपूर्ण खोज है |
१३. पशु पक्षियों में भी मानवीय संवेदना होती है और वो भी मानव की भाषा बोल और समझ सकते हैं ये भी इनकी ही खोज है |
१४. मानव क्लोन बनाने की कला में तो ये सिद्धहस्त थे| अगर किसी मनुष्य के रक्त की बूंदे धरती पर पड़ जाती थी तो जितनी बूंदे धरती पर पड़ती थी उसके उतने ही क्लोन पैदा हो जाते थे |
१५. मानव रक्त भी कोल्ड ड्रिंक और चाय की तरह पिया जा सकता है ये भी इनकी ही महत्त्वपूर्ण खोज थी |
१६. बच्चे बिना औरत मर्द के पैदा भी किये जा सकते है ये भी इनकी ही खोज थी |
ये मानव शिशु छींक कर,
सेब को खाकर,
खीर पीकर,
शरीर के पसीने द्वारा,
पशु पक्षियो के गर्भ द्वारा भी पैदा करवा सकते थे |
१७. वानर-रीछ जैसे जीव भी बिना पंखो के उड़ सकते हैं ये भी इनकी ही खोज थी |
१८. एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के स्पर्श से, उसकी छाया से भी भ्रष्ट हो सकता है ये भी इनकी ही खोज थी |
१९. पशु भी मानव
(ST/SC/OBC)
से ज्यादा शुद्ध और पवित्र होता है ये भी इनकी ही खोज थी|
२०. मानव जो
(SC/ST/OBC) हैं उनके स्पर्श से भ्रष्ट हुआ मनुष्य पशुओं का मूत्र पीकर, या मूत्र छिड़ककर पवित्र हो सकता है ये भी इन्ही की खोज थी |
२१. स्त्री और शूद्र दोयम दर्जे के नागरिक है इनकी अपनी कोई इच्छा नहीं होती | इनके कोई अधिकार नहीं होते | इनको अपनी इच्छा के अनुसार प्रयोग किया जा सकता है ये भी इन्ही की खोज थी |
२२. पूजा-अर्चना और हवन के द्वारा भी बारिश करवाई और रोकी जा सकती है ये भी इन्ही की खोज थी |
२३. अगर किसी स्त्री को एक ही पुरुष में उपयुक्त पति नहीं मिलता है तो वो पांच या उससे अधिक भी आदमियों को अपने पतियों के रूप में स्वीकार कर सकती है ये भी इन्ही की खोज थी|
२४. माता एक औरत को पांच भाइयो के बीच में किसी वस्तु की तरह बाँट सकती है ये भी इन्ही की खोज थी |
२५. अगर किसी औरत का गर्भपात हो जाता है तो उसका भ्रूण नष्ट होने से बचाया जा सकता है और उस भ्रूण को सौ टुकडो में बांटकर सौ या उससे अधिक संताने पैदा की जा सकती हैं ये भी इनकी ही खोजथी |
२६. मानव और जानवर के सिर आपस में बदले जा सकते हैं ये भी इनकी ही खोज थी |
२७. मानव और हाथी का रक्त ग्रुप एक होता है ये भी इनकी ही खोज थी |
२८. चूहे पर बैठकर भी मनुष्य सवारी कर सकता है ये भी इनकी ही खोज थी|
२९. वैज्ञानिक बेशक आज तक किसी मनुष्य का भविष्य बताने में सक्षम न हो लेकिन ये किसी का भी भूत,भविष्य और वर्तमान बताने में सक्षम है |
३०. पृथ्वी, सूर्य,चन्द्र, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि,सोम जैसे गृह भी जीवित प्राणी ही नहीं देवता भी हैं जो किसी का शुभ और अशुभ कर सकते हैं | ये भी इन्ही की खोज थी |
कितनी महान खोजे है इनकी जिनसे विश्व में भारत का नाम रोशन हुआ है लेकिन आरक्षण वालों ने आकर इनकी योग्यता को रोक का रख दिया है|
बेचारे अब ऐसे अविष्कार और खोजें नहीं कर सकते है |
जय भारत !
अधिक से अधिक शेयर करें।

Wednesday, February 3, 2016

कुठे पुण्य मिळते

आजची कविता. . . सावित्री समता मंच.
केस अर्पण
करून कुठे पुण्य मिळते,
नारळ अर्पण
करून कुठे भाग्य उजळते,
केस अन् नारळ
विकुनी होतो व्यापार.
सोनं- चांदी अर्पण
करून कुठे काय मिळते.
सोने -चांदीच्या
दागिन्यांचा होतो लिलाव.
काय उपयोग सांग मानवा
अशा या दान धर्माचा ???
कधी शेतक-याला
बियाणं दान देऊन बघा.
कधी निराधार
कन्येचा विवाह लाऊन बघा.
कधी एखाद्या निराधार
बालकाचा पालक होऊन बघा.
कधी एखाद्या
उपाश्याला भरवुन बघा.
कधी एखाद्या
अपंगाला आधार देऊन बघा.
कधी एखाद्या शाळेचा
जीर्णोध्दार करून बघा.
कधी एखाद्या
वृध्दाश्रमास दान करून बघा.
कधी एखाद्या आश्रमातील
निराधारांवर प्रेम करून बघा.
एकदा दान धर्माच्या
व्याख्या बदलून तर बघा !!!
जेव्हा मंदिरात जाणाऱ्या
रांगा वाचनालयात जातील,
तेव्हा भारत
जगात महासत्ता बनेल...
पुस्तक वाचनाने
माणसाचं मस्तक सशक्त होतं...
सशक्त झालेलं मस्तक
कुणाच हस्तक होत नसतं...
आणि हस्तक न झालेलं मस्तक
कुठेही नतमस्तक होत नसतं...!
शाळेचे छत गळके आणि
मंदिराचे छत मात्र सोन्याचे ?
शाळेत आज मुलांना
बसायला साधी फरशी नाही.
आणि
मंदिराला मात्र संगमरवरी ?
शाळेला दोन रुपये देतांना दहा
वेळा चौकश्या करणारा पालक,
मंदिराला दोन हजार देतांना
अजिबात चौकशी करत नाही..
आपला भारत
नक्की महासत्ता होणार ?
पायात घालायची चप्पल
ए सी मधे विकायला ठेवतात,
आणि
भाजीपाला फूटपाथवर...!
आणि म्हणे
आमचा देश कृषी प्रधान..!
आणि
आत्महत्या करतो शेतकरी..
शेकडो
मैल चालतो वारकरी...
अन विठोबाचे
पहिले दर्शन घेतो मुख्यमंत्री..!
वाचा, विचार करा, आणि
पटलं तरच पुढे पाठवा..!